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जउने दिना सीता जी धरती समानी (हिंदुली)

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मौसमी गीतों की बात ही निराली होती है जब वर्षा शुरू हो जाती है पुरवाई हवा बहने लगती है वर्षा की बूँद धरती पर पड़ती है ऐसे में हमारे धरती के गीत मन में उल्लास भर देतें हैं वर्षा ऋतु में कजली, हिंदुली, झूला गीत, मन को मोह लेते हैं ऐसा ही गीत आप के बीच प्रस्तुत हैं                                                                                                       हिंदुली मिथिला नगरिया के जनक दुलारी धनुष पूजय ना सीता जाय भिनसारे धनुष पूजय ना जे ई धनुहिआ का टोरि गिराई ओहिन संघे ना  आपन रचवय विअहवा ओहिन संघे ना जउने दिना सीता के परी रे भवरिया, ओहिन दिना ना रामा भये वनवासी ओहिन दिना ना जउने दिना सीत...