Posts

Showing posts from July, 2020

आइए संस्कार गीतों से होते हैं रूबरू?

Image
पिछले ब्लॉग में संस्कार गीतों के बारे में मैंने लिखा उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हैं और रूबरू होते हैं संस्कार गीतो से, कुआं पूजन के बाद जब जच्चा घर लौटती है तब रास्ते में जो गीत गाया जाता है उसे गैलहाई कहते हैं जैसे:- गैलहाई :-                                                                        धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी -2 केखरि आहिउ बारि बहुरिया-2 केखरि आहिउ सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी  । रजा दशरथ जी के बारी बहुरिया -2 जनक के आहेव सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना हमारी । केखरि आहिउ बारी बिआही -2 केखरि लगौ भउजाई,गघरि छलकै ना तोहारी धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी । रा...

संस्कार परक गीत कौन-कौन से हैं?

Image
छठी संस्कार  संस्कार परक गीतों में सोहर पहला संस्कार गीत होता है जब शिशु का जन्म होता है सोहर गाया जाता है संस्कार मैं ही छठी महत्वपूर्ण संस्कार होता है छठी बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है इसमें तरह-तरह के व्यंजन बनते हैं पूरे परिवार के लोग एक साथ भोजन करते हैं बड़े उल्लास के साथ  छठी संस्कार मनाया जाता है परिवार की सभी औरतें इकट्ठा होकर सोहर गाती हैं छठी के दिन जच्चा (प्रसूता) को भोजन दिया जाता है बुआ बच्चे को काजल लगाती है सास ,जेठानी ,देवरानी और ननद को नेग दिया जाता है।