आइए संस्कार गीतों से होते हैं रूबरू?
पिछले ब्लॉग में संस्कार गीतों के बारे में मैंने लिखा उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हैं और रूबरू होते हैं संस्कार गीतो से, कुआं पूजन के बाद जब जच्चा घर लौटती है तब रास्ते में जो गीत गाया जाता है उसे गैलहाई कहते हैं जैसे:- गैलहाई :- धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी -2 केखरि आहिउ बारि बहुरिया-2 केखरि आहिउ सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी । रजा दशरथ जी के बारी बहुरिया -2 जनक के आहेव सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना हमारी । केखरि आहिउ बारी बिआही -2 केखरि लगौ भउजाई,गघरि छलकै ना तोहारी धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी । रा...