आइए संस्कार गीतों से होते हैं रूबरू?
पिछले ब्लॉग में संस्कार गीतों के बारे में मैंने लिखा उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हैं और रूबरू होते हैं संस्कार गीतो से, कुआं पूजन के बाद जब जच्चा घर लौटती है तब रास्ते में जो गीत गाया जाता है उसे गैलहाई कहते हैं जैसे:-
गैलहाई :-
धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी -2
केखरि आहिउ बारि बहुरिया-2
केखरि आहिउ सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी
धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी ।
रजा दशरथ जी के बारी बहुरिया -2
जनक के आहेव सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी
धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना हमारी ।
केखरि आहिउ बारी बिआही -2
केखरि लगौ भउजाई,गघरि छलकै ना तोहारी
धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी ।
राजा राम जी के बारी बिआही -2
लखन के लगेव भउजाई गघरि छलकै न तोहारी
धीरे चला सुकुमारी गघरि छलकै ना तोहारी ।
जब जच्चा घर पहुंचती हैं तो घघरी उतारने की रस्म होती है उस गघरी को देवर उतारता है भाभी नेग देती है उस समय यह गीत गाया जाता है जैसे :-
लाल मोरी गघरी उतारा हमरे गरे मोहन माला।
कोया लेआमै साला दुसाला -2
कोया लेआमै मसाला हमरे गरे मोहन माला
लाल मोरी गघरी उतारा हमरे गरे मोहन माला ।
ससुरा लेआमै साला दुसाला -2
सासू लेआमै मसाला हमरे गरे मोहन माला
लाल मोरी गघरी उतारा हमरे गरे मोहन माला।
जब बच्चा 5 या 6 महीने का हो जाता है उस समय अन्नप्राशन संस्कार होता है बच्चे को भोजन कराया जाता है तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं पूरे परिवार का निमंत्रण होता है अन्नप्राशन के समय सोहर गाया जाता है जैसे :-
सोहर :-
सोभवा मा बइठे है अजबा ता नतिआ अरझि करै,
हो आजा भूख लगी है बडी जोर भोजन कुछू चाही है हो ।
नौ मन दुधवा मगउवै खीर वनबउवय -2
हो नाती छंपन भोग बनवउबय भोजन करउवय हो -2
येतना जो सुनिन आजी रानी त धाई महल गई
हो गोतिन आजु नतिया केरे पसनी नेउतै हम आयन हो -2
गोतिनी त आई अंगन भर गोतिया ओसर भर -2
हो आबा बाजै लागी आनंद बधइया गामय सब सोहर हो -2
इसी तरह जब बच्चा बड़ा होता है तो एक साल या तीन साल की उमर में मुंडन संस्कार करने की परंपरा है। मुंडन संस्कार में सोहर गाया जाता है जैसे :-
कोरबा मा बइठे हैनतिआ ता आजा से अरझ करै -2
हो आजा झलरी त छछली लिलार करा हो जग मूंडन हो ।
को मोरी झलरी उतारय जघ बइठामय -2
हो आबा को मोरे खरचय दाम ता मूडन करामय हो।
आजी मोरी झलरी उतारय जघ बइठामय -2
हो आबा आजा मोरे खरचय दाम त मूडन करामय हो।
इसी तरह शिशु जब बड़ा होता है तो एक महत्वपूर्ण संस्कार होता है कनछेदन उस समय सोहर गाया जाता है।जैसै :-
मचिअन बइठी है सासू ता कोरवा नतिआ लिहे -2
हो आजी कान त होत चरेर करा हो कनछेदन हो
अयोध्या से सोनरा बोलउवय वृंदावन से फुलिया -2
हो नतिया सगला शहर नेउतउबै करब कनछेदन हो।
संस्कार गीतो की कड़ी में अभी आगे मैं और गीतों को आप सबके बीच में रखूंगी बस अपना स्नेह ऐसे ही बनाए रखें इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें, सब्सक्राइब करें जिससे यह जन जन तक पहुच सकें बहुत-बहुत धन्यवाद।
बहुत नीक ऐसइ अपने संस्कारन का सबके बीच म शेयर करत रही।शुभ मंगल कामना
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