{ श्याम तोहरी सवली सुरतिया } गइलहाई लोक गीत के बोल।

यह बघेलखंड की बहुत ही लोकप्रिय पारंपरिक गइलहाई लोकगीत है बिरह भाव को व्यक्त करता हुआ मनमोहक लोकगीत आप सबके लिए प्रस्तुत है।



गाने के बोल हैं :-


 श्याम तोहरी सवली सुरतिया पागल हुई है मनवा।


जइसय जल बिन मछली तड़पय , ओइसै बालक  बिन  माता पागल होइहै मनवा ।


माता छूि जइहै पिता छूटि जइहै ,छूटि जइहै लहुरा बिरनमा पागल होइहै मनवा।


सास छूटि जइहै  ससुर छूटि जइहै ,छूटि जइहै प्यारे सजनमा पागल होइहै मनवा ।


जइसय आगी के लपट जलतु है ,ओइसै  पुरुष बिन नारी पागल होइहै मनवा ।

 श्याम तोरी सांवली सुरतिया पागल होइहै मनवा।


हारमोनियम :- श्री शिबू द्विवेदी ।
ढोलक :-श्री हरिशरण श्रीवास्तव ।
गायिका :-श्रीमती सुषमा शुक्ला।

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