[ जब मोरे रामा बाग बिच आये हो ]{ गइलहाई }बघेली लोकगीत के बोल।

गइलहाई बघेलखंड का पारंपरिक लोकगीत है इसे रास्ते में गाया जाता है जब भगवान राम वनवास काटकर अयोध्या लौट कर आते हैं अयोध्या नगरी में चारों तरफ खुशियां छा जाती है लोग उनके स्वागत में निकल पड़ते हैं इन्हीं भावों को व्यक्त करता यह गीत मैं आप सबके समक्ष रख रही हूं। गइलहाई कई तरह से गाई जाती हैं हर अवसर की अलग-अलग गइलहाई गीत होती है जिसमें अलग-अलग भाव होते हैं इन गीतों के बिना हमारा कोई भी उत्सव सुना सुना लगता है बघेलखंड की लोकप्रिय गइलहाई गीत प्रस्तुत है।

                                                                            




    गाने के बोल हैं:-

             रामा आये उचि मिलतिउ काहे नही।


            जब मोरे रामा बाग बिच आये हो,

            फूलन वर्षा करउतिउ काहे नहीं ,रामा आये उचि मिलतिउ हूं काहे नहीं।


           जब मोरे रामा दुअरबा मां आए हो,

          कंचन कलश लेसउतिउ काहे नहीं ,रामा आये उचि मिलतिउ काहे नहीं।


          जब मोरे रामा अंगनबा मा आए हो,

          मोतियन चौक पुरउतिउ काहे नहीं ,रामा आए उचि मिलतिउ हो काहे नहीं।

   

         जब मोरे रामा महलिया मां आए हो ,

        फूलन सेज बइठउतिउ काहे नहीं ,रामा आए उचि मिलतिउ काहे नहीं।


हारमोनियम :-श्री रघुवीरशरण श्रीवास्तव ।

तबला :- श्री हरिशरण श्रीवास्तव ।

गायिका :- श्रीमती सुषमा शुक्ला।



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