लिरिक्स । ( सोहाग ) सोने के सुपलइया बनबाबा मोरी माया | बघेली लोकगीत

बघेली लोकगीत में बहुत ही लोकप्रिय सुहाग संस्कार गीत है जब लड़की का विवाह होता है उस समय इसे गाया जाता है इस गीत में लड़की के भावों को व्यक्त किया गया है। लड़की मां से क्या कहती है जब छोटी उम्र में लड़की का विवाह होता था उस समय उसके भाव क्या होते हैं इस गीत में व्यक्त किया गया है।

                                                      


गाने के बोल:-


सोने के सुपलइया बनबाबा मोरी माया ,
अरे धुधुरी खेलन हम जब रानी के सोहगवा 

अरे धुधुरी खेलन गईं ढेरिया सीतलदेई ,
अरे खेलत - खेलत गई सोय रानी के सोहगवा।

अरे बहिरे से आयें है भइया फलाने रामा ,
अरे झारी पोछी लिहिन उठाय रानी के सोहगबा।

अरे भितरे से निकली है भउजी दुलहिन देई 
अरे कनिआ से दिहिन ढकेल रानी के सोहगबा।
 


 
हारमोनियम :-श्री गणेश प्रसाद मिश्रा ।
ढोलक :- श्री हरिशरण श्रीवास्तव ।
गायिका :- श्रीमती सुषमा शुक्ला।

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