पछीत बोलाई लोकगीत के लिरिक्स।

बघेलखंड के लोकगीतों में संस्कार गीतों का महत्वपूर्ण स्थान  है जब शिशु का जन्म होता है तब बरहो संस्कार होता है इसी तरह पछीत बोलाई की एक रस्म होती है उसी अवसर का यह मनमोहक गीत आप सबके बीच में रख रही हूं इस गीत में जच्चा के भावों को व्यक्त किया गया है।

                                                                          


गाने के बोल हैं :- 


मुरलिया रे कउनौ लाल बजाई ,बसुरिया रे कउनौ लाल बजाई ।

ना दइया गरजे ना मेघा बरसे -2अंगनवा रे कादव कीच मचाई
मुरलिया रे कउनौ लाल बजाई,बसुरिया रे कउनौ लाल बजाई।

ना घर निमिया ना अमरइया -2पछितिया रे कउनौ बंशी बजाई
मुरलिया रे कउनौ लाल बजाई,बसुरिया रे कउनौ लाल बजाई।

ना छोटा भइया ना कोरा बालक,-2 अंचलबा रे कउनौ लार लगाई
मुरलिया रे कउनौ लाल बजाई, बसुरिया रे कउनौ लाल बजाई।


गायिका :- श्रीमती सुषमा शुक्ला ।

 हारमोनियम :-श्री गणेश प्रसाद मिश्रा ।

ढोलक :- श्री शिब्बू द्विवेदी ।


टीप :-अपने माटी के गीतों को संरक्षित करने के लिए ,उन्हें जन-जन तक पहुंचाने के लिए मैंने यह ब्लॉग शुरू किया है आप सब अपना स्नेह बनाए रखें जिससे हमारी लोक संस्कृत जन जन तक पहुंच सके आप सभी के स्नेह के लिए हृदय से बहुत-बहुत आभार।

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