अरे गंगा जी के तीरे जमुना जी के छोरे

                          

सोहाग

यह बघेल खण्ड का लोकप्रिय संस्कार परक सोहाग गीत है
जब बेटी का विवाह होता है तब इस गीत को गाया जाता है
ये गीत हमारे किसी भी उत्सव की जान होते हैं इनके बिना
उत्सव सुना लगता हैं लड़की और लडके के विवाह के अलग अलग सोहाग गीत होते हैं, इन गीतों में अपने माटी की महक होती हैं हमारी लोक संस्कृति की छाप इन गीतों में दिखाई देती हैं
बेटी के मन के भावों को इस गीत के माध्यम से व्यक्त किया गया हैं हमारे यहां जब विवाह की रस्म होती हैं तब इन गीतों को गाया जाता हैं  बहने  इन गीतों को गाकर ख़ुशी मनाती हैं आशा है आप सभी का स्नेह इस गीत को मिलेगा 🙏🙏


अरे गंगा जी के तीरे जमुना जी के छोरे,
अरे मलिया लगाए फुल बाग रानी के सोहगवा

अरे फुलवा टोरन गई सीता सुकुमारी,
अरे हाथ डलिया मुख पान रानी के सोहगवा

अरे बडी दुरी मलिया लगाये फुलवरिया,
अरे मरि जाबय भूखिया पिआस रानी के सोहगवा

अरे जात के बेरी वेटी कदुआ बसऊवय,
अरे लउटत खोदउवय सागर ताल रानी के सोहगवा
अरे गंगा जी के तीरे जमुना जी के छोरे
अरे मालिया लगाए फूल बाग रानी के सोहगवा


                                

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