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Showing posts from November, 2023

भरि -भरि आवै मोरी अखिआ गलिआ नहीं सूझय हो

यह बघेली  का बहुत ही मार्मिक  संस्कार परक लोकगीत है जब बेटी का विबाह होता है उसकी विदाई होती है तब बेटी अपने मन के भाव ब्यक्त करती है बहुत ही भावुक गीत है इसे जो भी जमझते हैँ वो भी सुनकर भावुक हो जाते हैँ उनकी आँखो में आंसू आ जाते हैं आशा है आप सभी का स्नेह इस गीत को मिलेगा 🙏🙏                 अंजुरी          ************* भरि - भरि आबै मोरी अखिआ गलिआ नहीं सुझय हो आगे के घोडीला दुलेरुआ ता जमरे दुलहिन देइ हो पलटि के पाछे निहारय त काहे धना अनमन हो धौ सुधि आई मायल केरी धौ रे बाबुल केरी हो धौ सुधि आई विरन के गलिआ नहीं सूझय हो नहीं सुधि आई मायल केरी नहीं रे बाबुल केरी हो नहीं सुधि आई विरन के गलिआ नहीं सूझय हो छोडी आयेव अरबा कलेउना अगन भर सखिआ हो छोड़ी आयेव लहुरी बहिनिआ गलिआ नहीं सूझय हो ये गीत हमारी लोक संस्कृति की पहचान है हमारे कोई भी उत्सव इनके विना सूने लगते हैं ये हमारी लोक संस्कृत के सजक पहरेदार भी होते हैं यह जीत हमारी आने वाली पीढ़ी को मिल सके...

दसरथ सुमन मनोहर चारी (गारी )बघेली लोक गीत

                                                           गारी (बघेली लोकगीत ) आज आधुनिकता की दौड़ मे हम अपनी पुरानी सस्कृति को भूलते जा रहे हैँ एक समय वो था जब लड़की का विवाह होता था बारात जब आती थी तब समधी की पाँव धुलाई होती थी और उनके  स्वागत  सत्कार का तरीका बहुत सुन्दर होता था जब बारातियों को भोजन कराया जाता था तब पंगत बैठती थी   तरह तरह के व्यंजन परोसे जाते थे एक विशेष बात यह थी की बहनो द्वारा बारातियों के  स्वागत में गारी  गीत गाया जाता था | और बाराती बड़े प्रेम से इन गीतों को सुनकर भोजन करते थे |  ऐसे ही भाव इस गीत के माध्यम से मै प्रस्तुतु कर रही हूँ | आप सब को  इस गीत के  माध्यम से हमारी पारम्परिक झलक दिखाई दे गई |  दशरथ सुमन मनोहर चारी जनक भुवन पग ढारी की हाँ जी हो जनक भुवन पग ढारी दारि भात मैदा कई रोटी घिउ सुरहिन के चभोकी कि हाँ जी हो घिउ सुरहिन के चभोकी बर...

बलमा के जरै नोकरिया रे (दादरा )बघेली लोक गीत

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दादरा                         ************** यह बघेलखंड का पारम्परिक लोकप्रिय हास्य दादरा गीत है, यह गीत नोकझोंक से परिपूर्ण है पत्नी सखियों से कहती है बलमा के जरै नोकरिया रे जिया जरि गय हमार शादी विवाह के अवसर पर ये गीत गाये जाते हैँ घर का माहौल इन गीतों से खुशनुमा हो जाता हैं सब लोग मिलकर ख़ुशी मनाते हैं बलमा के जरै नौकरियां रे जिया जारि गय हमार -2 सास क लायें चू नर नंद कलाएं लहंगा, हमका लइ आए लुगरिया हो जिया जरि गय हमार सास पहिरे चूनर ननद पहिरे लहंगा, खूटी मा रोबै लुगरिया हो जिया जरि गय हमार सास का लाये लड्डू ननद का लाये पेड़ा, हमका लइ आये बताशा हो जिया जरि गय हमार सास खाये लड्डू ननद खाये पेड़ा, अरबा मा रोबै लुगरिया हो जिया जरि गय हमार टीप :-ये गीत हम सब के जीवन मे रचे बसे होते हैं ये हमारी जिंदगी के हिस्से होते हैं अगर आप को ये गीत अच्छे लगते हैं तो अपना स्नेह बनाये रखें और अपने लोगों तक इन्हे पहुंचायें बहुत बहुत धन्यवाद 🙏